जीवन परिवर्तन का नाम है. और टेक्नोलॉजी जल्दी, और जल्दी परिवर्तन. कुछ अरसा ही तो हुआ था मिसकॉल को अपनी जिंदगी में शामिल किए हुए. और अब यह अप...
जीवन परिवर्तन का नाम है. और टेक्नोलॉजी जल्दी, और जल्दी परिवर्तन. कुछ अरसा ही तो हुआ था मिसकॉल को अपनी जिंदगी में शामिल किए हुए. और अब यह अपनी जिंदगी से अलविदा होने को तत्पर है.
“वहाँ पहुँचते ही मुझे मिसकॉल मार देना”
“बैलेंस नहीं है, मिसकॉल दे दूंगा”
“क्या मिसकॉल करते रहते हो. बात करना हो तो पैसे खर्च करो”
“कमीना कंजूस साला. जब देखो मिसकॉल मारते रहता है”
“यार, तूने मिसकॉल दिया था...”
ये कुछ वाक्यांश थे जो हमारी नित्य की जिंदगी में रच बस गए थे. मिसकॉल ने बहुतों का भला किया (होगा), तो बहुतों का बुरा भी किया (होगा). मिसकॉल एक तकनीक थी, तो एक हथियार भी था. एक नायाब औजार भी था, जिसके नायाब प्रयोग से बहुत सी व्यवसायिक सफलता की कहानियाँ भी गढ़ी-बुनी गईं. मिसकॉल मारकर आप अपने पसंदीदा रीयलिटी शो के अपने पसंदीदा विजेता को चुन सकते थे, तो मिसकॉल मारकर आप, बिना कोई धेला खर्च किए, अपने सही-सलामत होने का समाचार भी पूरी दक्षता से दे सकते थे.
मिसकॉल के पीछे की भारतीय फ़िलासफ़ी ही ये थी कि कॉल तो हो, परंतु वो मिस भी हो, कॉल पर एक पैसा भी खर्च न हो – यानी हींग लगे न फ़िटकरी, और रंग चोखा. भावना यही रहती थी कि मिसकॉल कर संदेश तो भेज दें कि भई, काम हो गया, गोटी जम गई, या ये अर्जेंसी है, और जेब से घेला न जाए.
और, अब रिलायंस जियो के वाइस-डेटा प्लान ने इस सुंदर, बहुतों के बेहद काम के, शानदार तकनीक – मिसकॉल का फंडा ही खत्म कर दिया है. रिलायंस जियो में तमाम कॉल फ्री है. एकदम मुफ़्त. आपका जियो सिम चालू है तो बिना किसी चिंता के देश में किसी भी नंबर पर असीमित कॉल करिए. कोई पैसा खर्च नहीं, कोई चार्ज नहीं. बीएसएनएल भी ऐसा प्लान ले आया है – 98 रुपए में विशिष्ट ब्रॉडबैण्ड उपयोगकर्ता चौबीसों घंटे असीमित, मुफ़्त कॉल कर सकते हैं. जल्द ही सभी कैरियर ऐसे प्लान लेकर आएंगे ही. यानी सभी जगह कॉल मुफ़्त होना ही है. ऐसे में कोई मिसकॉल क्यों करेगा? इधर, किसी ने कॉल किया नहीं, उधर किसी ने उठाया नहीं. क्योंकि इनकमिंग तो कब का फ्री है. यानी कॉल के मिस होने की संभावना शून्य.
यदि कोई अब भी मिसकॉल मारे, तो आप उसे क्या कहेंगे?
बहरहाल, इस आलेख को पसंद/नापसंद करने के लिए आप मुझे मेरे फ़ोन नंबर पर एक मिसकॉल/दो मिसकॉल अवश्य दें!
शायद ये आपका आखिरी मिसकॉल हो!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा परसों सोमवार (05-09-2016) को "शिक्षक करें विचार" (चर्चा अंक-2456) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को नमन।
शिक्षक दिवस की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदतें इतनी जल्दी कहाँ छूटती हैं :)
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