बाकी तो… अब आपको क्या कहें.. आप खुदै समझदार हैं!
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अफ़सरी का असली मज़ा तो महंगे टेंडर निकालने में ही है …
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2 टिप्पणियाँ "अफ़सरी का असली मज़ा तो महंगे टेंडर निकालने में ही है …"
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इस थेटे के दिन कब फिरेंगे? मैं 15 साल से एम.पी. से बाहर हूं फिर भी यदाकदा इसका नाम पढ़ने-सुनने को मिल जाता है.
उत्तर देंहटाएंन्यायालय के आदेश पर बहाल तो हो गए हैं, परंतु सवाल तो मलाईदार पोस्ट का है!
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