आसपास बिखरी हुई शानदार कहानियाँ - Stories from here and there - 56

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  आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 345 दुनिया का अंत दार्शनिकों का ए...

 

आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ

संकलन – सुनील हांडा

अनुवाद – परितोष मालवीयरवि-रतलामी

345

दुनिया का अंत

दार्शनिकों का एक समूह अपनी लंबी यात्राओं और कई वर्षों के शोध के उपरांत इस नतीजे पर पहुंचा कि दुनिया का अंत होगा परंतु वे दुनिया के अंत का दिन बताने में सफल नहीं हुए।

अंत में वे मुल्ला नसरुद्दीन के पास पहुंचे और उनसे पूछा - "क्या तुम यह बता सकते हो कि इस दुनिया का अंत किस दिन होगा?"

मुल्ला ने उत्तर दिया - "जरूर बता सकता हूं। जिस दिन मैं मरूंगा, उस दिन दुनिया का अंत होगा।"

उन्होंने फिर पूछा - "और तुम किस दिन मरोगे? क्या तुम्हें वास्तव में यह पता है कि उस दिन दुनिया का अंत हो जाएगा?"

मुल्ला ने उत्तर दिया - "कम से कम मेरे लिए तो दुनिया का अंत उसी दिन होगा।"

346

कुत्ता और परछाई

एक कुत्ते कसाई की दुकान से माँस का टुकड़ा चुराने में सफल हो गया। उस टुकड़े को मुंह मे दबाये वह अपने घर की ओर बढ़ रहा था। रास्ते में पुल पार करते समय उसने नीचे पानी में झांका। पानी में उसे अपनी परछांई दिखायी दी। उसने सोचा कि कोई दूसरा कुत्ता वहां माँस का टुकड़ा लिए बैठा है। उसके मन में उस कुत्ते के मुँह में दबे माँस को भी लेने की इच्छा हुई। जैसे ही उसने भौंकना शुरू किया, उसके मुँह में दबा टुकड़ा भी पानी में गिर गया।

परछांई या आभासीय जीवन के चक्कर में हम मूल जीवन के

सारतत्त्व से भी हाथ धो बैठते हैं।

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98

तीन किस्से सकारात्मक सोच के

गोल्फ कोर्स में एक विदेशी यात्री आया. वह अपनी जिंदगी में पहली दफा गोल्फ कोर्स में आया था. उसे स्थानीय भाषा भी नहीं आती थी. उसने भी प्रैक्टिस कर रहे खिलाड़ियों के बीच गोल्फ के एक दो शॉट हाथ आजमाने की सोचा. जाहिर है उसके पहले पहल शॉट से गोल्फ की बाल कहीं से कहीं चली जाती थी. मगर उसने किसी के शानदार शॉट मारने पर लोगों के द्वारा चिल्लाए जाने वाले चंद शब्द याद कर रखे थे – वाह क्या शानदार शॉट मारा है. और वो अपना शॉट खेलकर हर बार बोलता – वाह! क्या शानदार शॉट मारा है.

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एक स्त्री अपने किशोर पुत्र के अजीब व्यवहार से परेशान रहती थी. अंततः एक दिन उसने उससे पूछ ही लिया – “बेटे, जब मैं तुम्हारे साथ बाहर जाती हूँ तो तुम मेरे साथ चलने के बजाए या तो बहुत आगे चलते रहते हो या बहुत पीछे. ऐसा क्यों? क्या तुम्हें मेरे साथ चलने में शर्म आती है?”

“नहीं मम्मी” – बेटे ने स्पष्ट किया – “दरअसल तुम इतनी कमउम्र लगती हो कि लोग बाद में मुझसे तुम्हारे बारे में बात करते हैं कि ये तुम्हारी नई गर्लफ्रैंड है बड़ी खूबसूरत.”

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प्राथमिक शाला की एक छात्रा अपनी शिक्षिका के पास पहुँची और उसे अपना पर्चा दिखाया. शिक्षिका ने पर्चा देखा तो पाया कि उसमें वर्तनी की कई गलतियाँ थीं. परंतु शिक्षिका ने कहा – “तुम्हारा पर्चा बहुत अच्छा है. तुम्हारी हस्तलिपि बहुत सुंदर है. उत्तर लिखने की शैली भी अच्छी है.”

छात्रा ने कहा “धन्यवाद. मुझसे वर्तनी की गलतियाँ कुछ हो जाती हैं, उन्हें सुधारने में अब ध्यान लगाउंगी.”

99

एक था दास और एक थी राजकुमारी

एक राजकुमारी का दिल एक दास पर आ गया. वह उस दास से विवाह करना चाहती थी. राजा ने कितने ही प्रयत्न किए कि राजकुमारी उस दास को भूल जाए, मगर हुआ उसका उल्टा.

अंत में दूर देश से एक विद्वान की सेवा ली गई. उस विद्वान ने राजा को एक युक्ति सुझाई. राजा ने उस अजीब युक्ति को तो पहले स्वीकारने से इंकार कर दिया मगर जब देखा कि और कोई चारा नहीं है तो मान गया.

राजा ने राजकुमारी को बुलाया और कहा – राजकुमारी, तुम उस दास से विवाह कर सकती हो, मगर तुम्हें हमारी एक शर्त माननी होगी. शर्त भी तुम्हारे अनुकूल ही है. वह शर्त है – दुनिया जहान से दूर सिर्फ एक ही कमरे में तुम्हें और दास को एक महीने साथ रहना होगा. सुख सुविधा तमाम उपलब्ध होगी, मगर तुम दोनों उस कमरे से बाहर नहीं जा सकोगे. यदि एक महीना साथ रह लिए तो फिर तुम दोनों विवाह कर सकोगे. बोलो मंजूर है?

राजकुमारी को और क्या चाहिए था! वह सहर्ष तैयार हो गई. राजकुमारी और दास के एक ही कमरे में साथ रहने का पहला सप्ताह तो बढ़िया गुजरा. दूसरे सप्ताह में बोरियत होने लगी और राजकुमारी को दास के कुछ कार्य और आदतें परेशान करने लगी. तीसरे हफ़्ते आते आते दोनों में झगड़ा हो गया और चौथे हफ़्ते की शुरूआत में राजकुमारी ने दास को बर्दाश्त से बाहर पाया और कमरे से बाहर आ गई!

अलग रहना आसान है, साथ रहना बेहद मुश्किल!

(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)

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