आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 339 पानी पंप करना एडीसन का एक ग्र...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
339
पानी पंप करना
एडीसन का एक ग्रीष्मकालीन निवास था जिस पर उन्हें बड़ा गर्व था। वे सभी मेहमानों को अपना घर और उसमें प्रयुक्त मेहनत बचाने वाले उपकरणों को चाव से दिखाते थे। घर के मुख्य द्वार पर एक बड़ा सा दरवाज़ा लगा था जिसे ताकत से घुमाकर ही घर में प्रवेश किया जा सकता था।
एक मेहमान ने एडीसन से पूछा कि जब घर में सुख-सुविधा के इतने उपकरण लगे हुए है तब यह दरवाज़ा इतना भारी क्यों है?
एडीसन ने उत्तर दिया - "जो कोई भी इस दरवाज़े को एक बार घुमाता है, घर की छत पर लगी टंकी में 8 गैलन पानी चढ़ जाता है।"
340
तालाब में बारहसिंगा
एक बारहसिंगा तालाब में अपनी प्यास बुझाने आया। जैसे ही वह पानी पीने लगा, उसे अपनी परछाई दिखायी दी। अपने सींगों को देखकर वह बहुत खुश हुआ कि प्रकृति ने उसे कितना सुंदर तोहफा दिया है। तभी उसका ध्यान अपने पतले पैरों की ओर गया। वह अपने पतले पैरों को देखकर दुःखी हो गया। वह अपने शरीर को निहारने में लगा हुआ था कि कुछ शिकारी दबे पांव उसके नजदीक आ पहुंचे।
बारहसिंगा अपने पतले पैरों की वजह से, जिन्हें वह बदसूरत और बेकार समझ रहा था, सरपट भागा और शिकारियों की पहुंच से दूर हो गया। तभी उसके सींग, जिन्हें वह गर्व की चीज समझ रहा था, घनी झाड़ियों में उलझ गए और शिकारियों ने उसे पकड़ कर मार डाला।
"हम प्रायः अपने पास मौजूद छोटी-छोटी परंतु महत्त्वपूर्ण चीजों
की उपेक्षा करते हैं।"
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92
सच्चा कानून पालनहारा
मुल्ला नसरूद्दीन को बाजार में चलते चलते एक बेशकीमती हीरा पड़ा हुआ मिल गया. किसी बदकिस्मत का हीरा बीच रस्ते में गिर गया था और भाग्य का हीरा मुल्ला पर चमक गया था.
परंतु मुल्ला धर्मभीरू किस्म का, कानून का पालन करने वाला व्यक्ति था. कानूनन यदि ऐसी कोई चीज किसी को कहीं लावारिस हालत में मिलने पर उसकी तीन बार अलग अलग दिनों में सार्वजनिक जगह में घोषणा करनी पड़ती थी और तब भी उसका वारिस दावा पेश न करे तो वह सामग्री पाने वाले की हो जाती थी.
मुल्ला कानून की यह शर्त जानता था, और बेशकीमती हीरे का लालच उस पर भारी पड़ रहा था.
मुल्ला ने तय किया कि वो बेशक कानून का पालन करेगा.
फिर वो उस दिन देर रात को, जब बाजार में सारे दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर जा चुके थे, और कोई एक खरीदार भी नहीं था, जा पहुँचा और फुसफुसाती आवाज में बोला – “मुझे सरे बाजार एक बेशकीमती हीरा मिला है. जिस किसी सज्जन का वह हीरा खो गया है वह मय सबूत मुझसे मिले और अपना हीरा ले जाए.”
मुल्ला ने ऐसा दूसरे दिन भी किया और तीसरे दिन भी किया.
संयोग से तीसरे दिन मुल्ला का यह कार्य एक आदमी दूर से देख रहा था. उसकी उत्सुकता जगी तो वह मुल्ला के पास आया और पूछा – “मुल्ला तुम यह क्या फुसफुसा रहे थे?”
मुल्ला ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया – “मैंने क्या कहा यह तो मैं तुम्हें कतई बताने वाला नहीं, मगर हाँ, मैं कानून का पालन करने वाला सच्चा नागरिक हूँ, और मैंने कानून का पक्के तौर पर पालन करने के लिए कुछ शब्द कहे हैं.”
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93
भगवान का नाम लो और नदी में चलो
एक पादरी के निवास पर ग्वालन रोज सुबह दूध देने आती थी. पादरी का निवास नदी के इस पार था और ग्वालन का घर उस पार. अकसर उसे देर हो जाती क्योंकि वह नाव से आती थी, और नाव वाला उसे समय पर यदा कदा ही मिलता था.
एक दिन पादरी ने ग्वालन से शिकायत की – तुम नाव का इंतजार ही क्यों करती हो. भगवान का नाम लेकर तो लोग भवसागर पार कर जाते हैं, ओर ये बस जरा सी नदी है. तुम तो भगवान का नाम लिया करो और पैदल चली आया करो.
दूसरे दिन से ग्वालन रोज समय पर दूध देने आने लगी. एक दिन पादरी से रहा नहीं गया. उसने ग्वालन से इसका राज पूछा, तो ग्वालन ने बताया कि पादरी ने ही तो तरीका बताया था कि भगवान का नाम लो और नदी पार करो. तब से मैं ऐसा ही करती हूँ.
पादरी को विश्वास नहीं हुआ. वह बोला कि वह वापसी की यात्रा में ग्वालन के साथ चलकर देखेगा कि क्या वो सही में ऐसा करती है.
वापसी में ग्वालन उसके साथ नदी पर गई और बेधड़क नदी की धारा में घुस गई. कुछ दूर तक चलने के बाद उसने पीछे मुड़कर पादरी की ओर देखा. पादरी का चेहरा भय से पसीना पसीना हो रहा था और वे अपने कपड़े को भीगने से बचाने के लिए घुटनों से ऊपर उठाए रखने का असफल प्रयास कर रहे थे.
ग्वालन की हँसी छूट गई – बोली यह क्या फादर! मुँह से तो तुम ईशु-ईशु कह रहे हो मगर ध्यान कपड़े पर है कि कहीं भीग न जाएँ. तुम्हें अपने भगवान पर तो बार बराबर भी विश्वास नहीं है!
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
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