पिछले दिनों गृहनगर की यात्रा पर था तो जब एक बचपन के मित्र के घर जा रहा था तो वहाँ गली के एक कोने में यह देखा. एक छोटी सी दीवार के सहारे फल...
पिछले दिनों गृहनगर की यात्रा पर था तो जब एक बचपन के मित्र के घर जा रहा था तो वहाँ गली के एक कोने में यह देखा. एक छोटी सी दीवार के सहारे फलता फूलता बड़ा सा विशाल वृक्ष. यह पीपल समूह का वृक्ष है.
आपने भी ऐसे बहुत से पीपल या वट के पेड़ देखे होंगे अकल्पनीय जगहों पर, जहाँ वे जीवन के लिए हर किस्म के संघर्ष करते हुए दिखते होंगे. चट्टानों में, छतों में दीवारों में. और आमतौर पर मरियल, सूखे एक दो डाल युक्त दिखते हैं.
मगर यह एकदम अलग है. विशाल और हरा भरा जबकि इसकी जड़ें जमीन पर नहीं हैं, दीवार पर ही चिपकी हैं.
पास पड़ोस के लोगों ने बताया कि यह कोई 15-20 वर्ष पुराना है और मकान मालिक द्वारा कई बार काटने उखाड़ने के बाद भी यह इतना हरा भरा और विशाल है.
जिजीविषा शायद इसे ही कहते हैं.
जीने वाले अपने लहारे ढूढ़ ही लेते हैं।
जवाब देंहटाएंहाँ, बहुत सारी जगहों पर दिखते हैं ऐसे ईंटों और दीवारों पर जमे पेड़। लेकिन जमीन पर तो छोटे-छोटे पौधे को खा जाते हैं। क्या इसे जिजीविषा कहते हैं।
जवाब देंहटाएंआज छपरा में बॉस के बारे में कुछ बात हुई। बिहार में पटना में नहीं मेरे जिला मुख्यालय छपरा में, यह बात अजीब है!
घर के लिए खतरा तो नही है न? ऐसा न हो कि...
जवाब देंहटाएंजिजीविषा इसे ही कहते हैं ||
जवाब देंहटाएंआजकल छायाकार के मूड में आ गये हैं, बढिया है।
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जीवन का सूत्र...
NO French Kissing Please!
ये दीवार को फाड़ देगा ,जब तक इसी जड़ नहीं निकाली जायेगी तब तक यह पनपता रहेगा
जवाब देंहटाएंसही है जिजीविषा इसे ही कहते हैं।
जवाब देंहटाएंजिजीविषा का सुंदर प्रमाण.
जवाब देंहटाएंघर के लिए खतरा तो नही है न? ऐसा न हो कि...
जवाब देंहटाएंआप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
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hai
पीपल की यह विशेषतावाली प्रवृत्ति अनेक कोणों से व्याख्यायित की जा सकती है। इस ओर लिखनेवालों का ध्यान कम ही गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी यह सूचना चित्र-कविता लगी। मन को और ऑंखों को आनन्द आया।
kya yeh bharat me badhte hue Brhstachar ka paryay nahi hai.Brhstachar ko bhi panpane ke liye jamin ki jarurat nahi hai. jamin to murdo ke liye hoti hai.is ped ko lakh kat lo khatm hi nahi hota lekin lagta hai mera desh khatm ho jayega agar Brhstachar ka ped nahi kata gay.
जवाब देंहटाएंGovind Shah
Bokaro
http://sarapyar.blogspot.com/
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