कल से स्पीकर पर चारों ओर से देश भक्ति पूर्ण गाने बज रहे हैं. एक गाना बारंबार बज रहा है – जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया… सुन सुन कर कोफ़...
कल से स्पीकर पर चारों ओर से देश भक्ति पूर्ण गाने बज रहे हैं. एक गाना बारंबार बज रहा है – जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया… सुन सुन कर कोफ़्त सी होने लगी. वास्तविकता तो कुछ और है. वास्तविकता कड़वी है मेरे दोस्त. बहुत कड़वी. कुछ इस तरह -
जहाँ डाल-डाल पर भ्रष्ट कोड़े करते हैं बसेरा
वो भारत देश है मेरा
जहाँ असत्य, हिंसा और अधर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा
ये धरती वो जहाँ एसपीएस राठौर जैसे अधिकारियों का बोलबाला
जहाँ हर बालक एक बाल मजदूर है और हर राधा एक हाला
जहाँ देश के लुटेरे नेता सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा
वो भारत देश है मेरा
अलबेलों की इस धरती के व्यवहार भी हैं अलबेले
कहीं रिश्वत की जगमग है कहीं हैं भाई-भतीजावाद के मेले
जहाँ लालफीताशाही और अकर्मण्यता का चारों ओर है घेरा
वो भारत देश है मेरा
जब कटुता पैदा करते मस्जिद और शिवाले
जहाँ हर नगर में कूड़ाकरकट गंदगी धूल फैला डाले
भ्रष्टाचार की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा
वो भारत देश है मेरा
(राजेन्द्र किशन से क्षमायाचना सहित)
(चित्र – सौजन्य अनुज नरवाल रोहतकी)
धन्यवाद अंकुर. आपके द्वारा सुझाया वीडियो यहाँ एम्बेड कर दिया है :
यथार्थ को चित्रित करती पैरोडी...।
जवाब देंहटाएंमात्र अफ़सोस करने के बजाय अपने हिस्से की जिम्मेदारी उठाना श्रेयस्कर है।
शुभ गणतंत्र...।
एक मेरी ओर से http://www.youtube.com/watch?v=svpvzHn8-oE
जवाब देंहटाएंभारत गणतंत्र है वह जैसा भी है उसके लिए हम सब जिम्मेदार है. आपकी पैरोड़ी बहुत अच्छी-सुन्दर है. ज्यादा क्या कहूँ? जय-हिन्द.
जवाब देंहटाएंआज समाधान जोड़ने वाला, शिकायत के मूड में है
जवाब देंहटाएंचलिए हम अपना काम करते हैं, आखिर हमारा समाधान तो वही है
शफी माथर जी का सुझाव भी देखते हैं
http://www.ted.com/talks/lang/eng/shaffi_mather_a_new_way_to_fight_corruption.html
टेड मिलर की टिप्पणी जरूर देखिएगा।
नमस्कार
ओ मेरे प्यारे कलमकार साथी !
जवाब देंहटाएंव्यंग्यकार बडे-बडे खतरे उठा कर असंगति- विसंगतिओं, पाखंडियों और ढोंगियॊं से जमकर लोहा लेता है। पर्दे के पीछे चल रही उनकी काली करतूतों को समाज के सामने रख कर उन्हें नंगा करता है । उसका काम समाज के सामने रिरियाता नहीं है अपितु उसका हौसला बढाना है। व्यंग्यकार का कार्य बडे कौशल और सुझबूझ का होता है। यह साधारण कार्य नहीं, आपितु असाधारण कार्य है। आपने इस दिशा में कदम बढाया है तो वह साहस भी रखिए।
सद्भावी- डा0 डंडा लखनवी
ओ मेरे प्यारे कलमकार साथी !
जवाब देंहटाएंव्यंग्यकार बडे-बडे खतरे उठा कर असंगति- विसंगतिओं, पाखंडियों और ढोंगियॊं से जमकर लोहा लेता है। पर्दे के पीछे चल रही उनकी काली करतूतों को समाज के सामने रख कर उन्हें नंगा करता है । उसका काम समाज के सामने रिरियाता नहीं है अपितु उसका हौसला बढाना है। व्यंग्यकार का कार्य बडे कौशल और सुझबूझ का होता है। यह साधारण कार्य नहीं, आपितु असाधारण कार्य है। आपने इस दिशा में कदम बढाया है तो वह साहस भी रखिए।
सद्भावी- डा0 डंडा लखनवी
good
जवाब देंहटाएंनिर्मम सत्य बंधू ,निर्मम सत्य !
जवाब देंहटाएंgood blog
जवाब देंहटाएंmarvlus blog
जवाब देंहटाएंआप सही कह रहे हैं 26 जनवरी अपनी गरिमा खो रहा है, विडियो अच्छा लगा, जल्द ही रण देखी जायेगी
जवाब देंहटाएंAcha vaygay hai....
जवाब देंहटाएंpar hum sab ko hi prayas karna hoga apne desh ko acha banane ka...usko uper uthane ka...
or main yahi aasha karta hun chamkega humara hindustan
Read my poem: Chamkega Humara Hindustan.. in my blog