लीजिए पेश है महिलाओं, कुरमी, यादवों, मुसलिमों, ब्राह्मणों इत्यादि... सबके लिए उनके अपने, अलग-अलग ब्राउज़र

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ब्राउज़रों, कम्प्यूटरों में भी जातिवाद? कम्प्यूटिंग की दुनिया को भी जातिवाद अपनी गिरफ़्त में लेने को पूरी तरह तत्पर प्रतीत दीखता है. शुरू...

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ब्राउज़रों, कम्प्यूटरों में भी जातिवाद? कम्प्यूटिंग की दुनिया को भी जातिवाद अपनी गिरफ़्त में लेने को पूरी तरह तत्पर प्रतीत दीखता है. शुरूआत धमाकेदार हो चुकी है. जातिवाद से अब ब्राउज़र भी अछूते नहीं रह गए हैं. वो दिन अब दूर नहीं जब ब्राह्मणों का विंडोज अलग और कायस्थों, हरिजनों का अपना अलग फ्लेवर का विंडोज होगा. लिनक्स के कुछ धार्मिक संस्करण तो आ ही चुके हैं.

फ़ायरफ़ॉक्स ब्राउज़र का एक विशिष्ट संस्करण ब्लैकबर्ड – खास अफ्रीकी-अमरीकी (शुद्ध शब्दों में कहें तो, काले नीग्रो) जनता के लिए जारी किया जा चुका है.

इसी तरह, क्या आपको पता है कि स्त्रियों के लिए उनका अपना ब्राउज़र है – फ्लॉक ग्लास?

glos browser

और, हम अपने भारतीय नेताओं को गरियाते फिरते थे कि वो वोटों की राजनीति के लिए जाति-धर्म-क्षेत्रीय वाद के घटिया गुणाभाग चलाते हैं. परंतु अब तो प्रोग्रामर्स और डेवलपर्स भी इसी रस्ते पर चल निकले हैं!

जातिवाद की जय हो! धर्म, क्षेत्रवाद की जय हो!

COMMENTS

BLOGGER: 16
  1. हे भगवान्. अब क्या होगा?

    हमें अब कहना होगा-
    'दक्ष, कुशल, रूपवान, तर्कवान,......... जातिवान .'

    हिमांशु

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  2. बेनामी7:38 am

    ये बाजारवाद है | जहाँ जिस नाम से माल बेचा जाय बेचो यही नीति लगती है |

    जवाब देंहटाएं
  3. रवि जी!!
    सीधे सीधे मुझे बताएं कि मेरे लिए कौन सा brouser है????

    कहीं मैं ग़लत जगह तो नहीं अपना समय (Mozilla Firefox) तो नहीं बरबाद कर रहा हूँ!!!

    बढ़िया जानकारी!!!

    जवाब देंहटाएं
  4. बेनामी9:59 am

    Ravi bhai
    I strongly object to the title of your post dont use "mashillae" there . Its sound like age old dhor gawaar shudr pashu naari

    i think we need to move out of the mind set

    there may be a sepearte browere there for woman but the way you have put the heading its sounding obnoxious

    जवाब देंहटाएं
  5. आभासी संसार ऐसा था जहाँ सब बराबर थे, मगर यहाँ भी चैन नहीं.

    जवाब देंहटाएं
  6. "जातिवाद की जय हो! धर्म, क्षेत्रवाद की जय हो !"

    ठाकरे दादा तो बहुत पहले से इस रास्ते से अपनी दूकान चला रहे हैं !

    रामराम !

    जवाब देंहटाएं
  7. बेनामी10:56 am

    रवि सर, ब्राउजर और कंप्यूटर में हिन्दी ब्लॉगर्स को भी आरक्षण दिलाइए ना.. :)

    जवाब देंहटाएं
  8. कम्प्यूटरों की दुनिया एक व्यावसायिक दुनिया है जो माल बेचने के लिए कोई भी रूप धारण कर सकती है। किसी भी स्तर तक उतर सकती है। इस लिए ये रुप तो बहुत देखने को मिलेंगे।
    लेकिन जिस दिन इस तरह की मानसिकता से जनता स्वयं निजात प्राप्त कर लेगी और इन रुपों में माल बेचना संभव नहीं रहेगा। ये रुप भी गायब हो जाएँगे।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेनामी1:33 pm

    रवि जी क्या मैं कभी-कभी "फ्लॉक" प्रयोग कर सकता हूँ. जब घर में कोई न रहे. Please permit me.

    जवाब देंहटाएं
  10. ईल्लो, अब यही बाकी था कि दुनिया भारत से यह सब भी सीखने लग गयी। :) वाह-वाह... क्या कहने?

    जवाब देंहटाएं
  11. इसी तरह, क्या आपको पता है कि स्त्रियों के लिए उनका अपना ब्राउज़र है – फ्लॉक ग्लास?
    jii nahin meane pura daekh liyaa flock.com par bhi jaa kar yae social networking browser haen
    aur jinko fashion aur gossip mae interest haen unkae liyae haen

    jaankari hetu puneh kament dae rahee hun

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  12. यहाँ भी आन्दोलन चलाना पड़ेगा के ?

    जवाब देंहटाएं
  13. हे भगवान हम यहाँ पर भी इंसान ना रह पाएंगे , जातियों मे बट जायेंगे . क्या आरक्षण सुबिधा प्राप्त होगी ?

    जवाब देंहटाएं
  14. सही कहा है आपने, यदि हम नही चेते तो वह दिन दूर नही जब दुनिया जातिवाद के कारण गर्त में पहुच जायेगी |
    हमें जातिवाद को भूलकर समग्र विकाश पर ध्यान देना होगा |
    ब्लॉग लेखन की दुनिया में नया हूँ ,आपका मार्गदर्शन आवश्यक है |
    धन्यवाद |

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  15. जाति और विभाजन इस देश की शायद चिरादत है। हम जन्म, नामकरण,सरनेम,और शिक्षा जब तक विभाजन के आधार पर लेते रहेगे, तबतक इस जातीय विभाजन को कोई नहीं रोक सकता है जारा सोचे हमारी शिक्षा भी विभाजन को पैदा कर रही है अंग्रेजी और देशी माध्यम । परंतु एक बात है इस विभाजन का फायदा केवल एक व्यक्ति ले रहा है वह है विभाजन करनेवाला। इस लिए वही नवयुग का ब्राह्मण है। अन्य आम जनता को कोशने का कोई अर्थ नहीं है। अत: आओ हम सब आम नागरिक जिसका सभी शोषण कर रहें हैं एक होए। राम रे राम क्या ऐसा सम्भव हैं ?

    जवाब देंहटाएं
  16. रविजी,
    सूचना तो आपने बडी ही महत्‍वपूर्ण दी किन्‍तु पढकर अच्‍छा नहीं लगा । तकनीक में भी जातिवाद ?
    क्‍या इसका प्रतिकार सम्‍भव है ? यदि हां तो बताइएगा -कहां और कैसे ।

    जवाब देंहटाएं
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छींटे और बौछारें: लीजिए पेश है महिलाओं, कुरमी, यादवों, मुसलिमों, ब्राह्मणों इत्यादि... सबके लिए उनके अपने, अलग-अलग ब्राउज़र
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