हृदयहीन राजनीति *** हैदराबाद में पिछले दिनों बीमार बच्चों के कोमल हृदय को लेकर राजनीति का अजीब खेल खेला गया. कुछ नेताओं ने जिनमें मादिगा...
हृदयहीन राजनीति
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हैदराबाद में पिछले दिनों बीमार बच्चों के कोमल हृदय को लेकर राजनीति का अजीब खेल खेला गया. कुछ नेताओं ने जिनमें मादिगा, तेलुगुदेशम तथा भाजपा के लोग शामिल थे, आंध्रा के २३ जिलों के एक हजार से अधिक हृदय-रोग पीड़ित बच्चों को सरकार द्वारा मुफ़्त शल्यचिकित्सा दिलाए जाने का आश्वासन देकर रैली निकाली और भाषण बाजी, धरना आन्दोलन किए. इसमें सबसे दुःखदायी बात यह रही कि हृदयरोग से पीड़ित बच्चों को तीन किलोमीटर लंबी रैली में, भीषण गर्मी में पैदल चलाया गया. तदुपरांत किसी हाल में जहाँ वेंटिलेशन की कमी थी, इन हजारों बच्चों तथा उनके पालकों को ठूंस कर भाषण पिलाने का अभियान जारी रखा गया जिससे हाल के भीतर ही, रैली की थकान तथा ऑक्सीजन की कमी से एक हृदयरोगी बच्चे की मृत्यु हो गई. हृदयहीनता की पराकाष्ठा यह थी कि उस मृत बच्चे को स्टेज पर रख कर भाषणों के दौर जारी रखे गए.
अज्ञानी नेताओं को क्या यह पता नहीं था कि एक हृदयरोगी की शल्यचिकित्सा में औसतन एकलाख रूपए खर्च तो आता ही है, साथ ही अति आधुनिक चिकित्सा संस्थानों की कुल क्षमता भी इतने सारे बच्चों के एकसाथ इलाज हेतु पर्याप्त नहीं है. अतः इस हेतु समयबद्ध प्लानिंग की आवश्यकता है.
पर नहीं. ये सब समझते हैं. ये अपनी राजनीति का भला भली प्रकार समझते हैं. इस रैली के फलस्वरूप खबर है कि तीन बच्चों की मृत्यु तो हो ही चुकी है, बहुत से गंभीर अवस्था में भिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं. रहा इनके इलाज का, तो भले ही उन्हें यह न मिले, इसमें शामिल नेताओं की राजनीति को नई जीवनदायिनी चिकित्सा तो मिल ही चुकी है.
अब हमें किसी और अकल्पनीय विषय पर टुच्ची राजनीति के खेल का इंतजार करना होगा.
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ग़ज़ल
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सियासत में सारे हृदयहीन हो गए
नफ़ा नुकसान में तल्लीन हो गए
कोई और दौर होगा मोहब्बतों का
अब तो सारे रिश्ते महीन हो गए
अजनबी भी पूछने लगे हाले दिल
यकायक कुछ लोग जहीन हो गए
ज़ेहन में यह बात क्यों आती नहीं
बड़े बड़े शहंशाह भी जमीन हो गए
जीना है बिखरे हृदय के साथ रवि
हर दर और दीवार संगीन हो गए
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हैदराबाद में पिछले दिनों बीमार बच्चों के कोमल हृदय को लेकर राजनीति का अजीब खेल खेला गया. कुछ नेताओं ने जिनमें मादिगा, तेलुगुदेशम तथा भाजपा के लोग शामिल थे, आंध्रा के २३ जिलों के एक हजार से अधिक हृदय-रोग पीड़ित बच्चों को सरकार द्वारा मुफ़्त शल्यचिकित्सा दिलाए जाने का आश्वासन देकर रैली निकाली और भाषण बाजी, धरना आन्दोलन किए. इसमें सबसे दुःखदायी बात यह रही कि हृदयरोग से पीड़ित बच्चों को तीन किलोमीटर लंबी रैली में, भीषण गर्मी में पैदल चलाया गया. तदुपरांत किसी हाल में जहाँ वेंटिलेशन की कमी थी, इन हजारों बच्चों तथा उनके पालकों को ठूंस कर भाषण पिलाने का अभियान जारी रखा गया जिससे हाल के भीतर ही, रैली की थकान तथा ऑक्सीजन की कमी से एक हृदयरोगी बच्चे की मृत्यु हो गई. हृदयहीनता की पराकाष्ठा यह थी कि उस मृत बच्चे को स्टेज पर रख कर भाषणों के दौर जारी रखे गए.
अज्ञानी नेताओं को क्या यह पता नहीं था कि एक हृदयरोगी की शल्यचिकित्सा में औसतन एकलाख रूपए खर्च तो आता ही है, साथ ही अति आधुनिक चिकित्सा संस्थानों की कुल क्षमता भी इतने सारे बच्चों के एकसाथ इलाज हेतु पर्याप्त नहीं है. अतः इस हेतु समयबद्ध प्लानिंग की आवश्यकता है.
पर नहीं. ये सब समझते हैं. ये अपनी राजनीति का भला भली प्रकार समझते हैं. इस रैली के फलस्वरूप खबर है कि तीन बच्चों की मृत्यु तो हो ही चुकी है, बहुत से गंभीर अवस्था में भिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं. रहा इनके इलाज का, तो भले ही उन्हें यह न मिले, इसमें शामिल नेताओं की राजनीति को नई जीवनदायिनी चिकित्सा तो मिल ही चुकी है.
अब हमें किसी और अकल्पनीय विषय पर टुच्ची राजनीति के खेल का इंतजार करना होगा.
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ग़ज़ल
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सियासत में सारे हृदयहीन हो गए
नफ़ा नुकसान में तल्लीन हो गए
कोई और दौर होगा मोहब्बतों का
अब तो सारे रिश्ते महीन हो गए
अजनबी भी पूछने लगे हाले दिल
यकायक कुछ लोग जहीन हो गए
ज़ेहन में यह बात क्यों आती नहीं
बड़े बड़े शहंशाह भी जमीन हो गए
जीना है बिखरे हृदय के साथ रवि
हर दर और दीवार संगीन हो गए
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