(बेहतरीन भारतीय भित्तिचित्र) भारतीय रेलों के डिब्बों के भीतरी हिस्सों में और टॉयलेट पर ग्रेट इंडियन ग्रेफ़ीटी - अजीबोग़रीब चित्रकला के नम...
(बेहतरीन भारतीय भित्तिचित्र)
भारतीय रेलों के डिब्बों के भीतरी हिस्सों में और टॉयलेट पर ग्रेट इंडियन ग्रेफ़ीटी - अजीबोग़रीब चित्रकला के नमूने आप सभी ने देखे होंगे. पर ये एकदम अलग किस्म का है - बिलकुल अनदेखा.
लगता है किसी विद्यार्थी ने ट्रांजिस्टर सर्किट को याद रखने की कोशिश तब की है जब वो परीक्षा देने जा रहा था.
पर, पास ही पारंपरिक चित्र में किसी दिलजले अभिषेक का हृदय खूना-खून भी हो रहा है. बाजू के सर्किट को देखकर? शायद हाँ, शायद ना!
रवि जी,
जवाब देंहटाएंइन दिनों आप जुगाड़-तंत्र पर लिख रहे हैं या कहिए कि दिखा रहे हैं। बेचारे अभिषेक अकेले नहीं हैं, ऐसे हजारों-लाखों अभिषेक के इजहार का शिकार निर्जीव डब्बे, पेड़, दीवार आदि हो जाते हैं।
डायोड या ट्रायोड।
जवाब देंहटाएंआज आपकी पोस्ट पढ़ कर कुछ शब्द कलेक्टर ,एमीटर ,बेस ,प्रतिरोध आदि याद आने लग गये | नहीं तो मुझ जैसे कोमर्स के स्टूडेंट को भला ये सब कहा याद रह सकते है |
जवाब देंहटाएंअच्छा है देखे वाले नहीं लगाये :D
जवाब देंहटाएंये तो अजूबा है :)
जवाब देंहटाएंवीडियो - नये ब्लोगर डैशबोर्ड से संक्षिप्त परिचय
शायद हॉं। शायद ना।
जवाब देंहटाएंक्या करता बेचारा... परीक्षा की टेंशन का मारा... जुगाड़ तंत्र बढ़िया है...
जवाब देंहटाएंअच्छा अन्वेषण किया
जवाब देंहटाएंगणित सूत्र लिखे होते तो अभिषेक हमारे परिचय वाले हो सकते थे:)
जवाब देंहटाएंआजकल फिरोजाबाद आते जाते हुए हम भी रोज ही इससे दो चार होते हैं। पर इतनी कलात्मकता कहीं नहीं देखने को मिली। आभार1
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अच्छा प्रयास है याद करने का. समय का पूरा उपयोग है ये तो.
जवाब देंहटाएंपर देखने वाले की नज़र भी काबिले तारीफ़ है.
रवि जी का हार्दिक अभिनन्दन.
कभी इस ओर भी नज़र डालें- www.nandanarya.blogspot.com