(डॉ. गुरदयाल प्रदीप व डॉ. जगदीश व्योम) शारजाह, 15 अगस्त 2005 को अभिव्यक्ति ( www.abhivyakti-hindi.org ) के सात वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य...
शारजाह, 15 अगस्त 2005 को अभिव्यक्ति (www.abhivyakti-hindi.org) के सात वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य में "सहयोग पुरस्कार" प्रदान करने का निश्चय लिया गया। ये पुरस्कार पिछले वर्षों में अभिव्यक्ति के लिए निरंतर सहयोग देने वाले लेखकों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं का सम्मान करने के लिए प्रदान किए गए हैं.
श्रेष्ठ स्तंभकार पुरस्कार के लिए दो नामों को चुना गया है। प्रौद्योगिकी के लेखक रविशंकर श्रीवास्तव तथा विज्ञान वार्ता के लेखक डॉ गुरुदयाल प्रदीप। निरंतर सहयोग पुरस्कार के लिए डॉ जगदीश व्योम को चुना गया है जो साहित्य की विभिन्न विधाओं में अनेक प्रकार से अभिव्यक्ति व अनुभूति के लिए सहयोग करते रहे हैं। ये सभी रचनाकार अपने अपने विषय के जाने माने विशेषज्ञ हैं और विश्वजाल की दुनिया में अपने अमूल्य योगदान के लिए पहचाने जाते हैं।
पुरस्कार में 25,000 भारतीय रुपए नकद, स्मृतिचिह्न तथा प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाएगा। अभिव्यक्ति के लेखकों की सूची में इन लेखकों के नाम गतिमान नक्षत्र से तारांकित किए गए हैं।
ये पुरस्कार हर वर्ष प्रदान किए जाएँगे।
(समाचार स्रोत - अभिव्यक्ति)
विजेताओं को बधाई।
जवाब देंहटाएंविजेताओं तक उनके काम के लिए साधुवाद और पुरस्कार हेतु बधाई पहुंचे .
जवाब देंहटाएंवाह वाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई...
अपनी फोटो क्यूँ नहीं लगाई...
और
कहाँ है मिठाई???
---यह बात तीनों सम्मानितों से पूछ रहा हूँ. डॉ व्योम जी से तो खैर इस बार हौशंगाबाद जाकर खा ही लूँगा., :)
मित्रों,
जवाब देंहटाएंपहले तो आपका जो सम्मान हुआ उसके लिए बधाई.
दूसरा, आप ने जो कुछ किया है मैं उसके लिये आप लोगों का अनुमोदन करता हूं
ईश्वर आप लोगों को शतायु करें जिससे कि आप लोग दिनरात और अधिक योगदान कर सकें -- शास्त्री जे सी फिलिप
मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार !!
मैं कहना भूल गया कि मुझे इस बार मिठाई नहीं, रतलामी सेव चाहिये. ग्वालियर के दिनों की बहुत याद आती है. रतलामी सेव बहुत आता था एवं हम खूब खाते थे.
जवाब देंहटाएंबधाई जी सब पुरुस्कृतों को।
जवाब देंहटाएंउन्मुक्त जी, प्रियंकर जी, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसमीर जी, धन्यवाद. रहा सवाल फोटू नहीं लगाने का तो एगो फोटू तो बाजूपट्टी में पहले ही लगा है. एक और लगाने से संतुलन बिगड़े जाता ना, इसी लिए नहीं लगाया :)
शास्त्री जी, आपको धन्यवाद. रतलामी सेव आपकी खिदमत में जरूर रूबरू पेश करेंगे. इंशाअल्लाह, वो दिन जल्द और जरूर आएगा. :)
श्रीश जी, धन्यवाद.